अब जमीन रजिस्ट्री के लिए जरूरी होंगे ये 5 दस्तावेज, जानें पूरी प्रक्रिया Land Registry

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Land Registry: भारत में ज़मीन या संपत्ति खरीदने-बेचने की प्रक्रिया केवल कागज़ पर सौदेबाज़ी तक सीमित नहीं है। कानूनी मान्यता दिलाने और स्वामित्व को सुरक्षित करने के लिए ज़मीन का पंजीकरण (Land Registry) करवाना ज़रूरी है। इसके लिए कुछ आवश्यक दस्तावेज़ तैयार रखना अनिवार्य होता है, ताकि आगे चलकर किसी विवाद या परेशानी का सामना न करना पड़े।

बिक्री विलेख सबसे अहम दस्तावेज़

जमीन रजिस्ट्री में सबसे पहला और महत्वपूर्ण दस्तावेज़ होता है बिक्री विलेख (Sale Deed)। यह दस्तावेज़ खरीदार और विक्रेता के बीच हुए सौदे को वैधानिक रूप से प्रमाणित करता है। इसे उप-पंजीयक कार्यालय (Sub-Registrar Office) में पंजीकृत कराना अनिवार्य है। बिना पंजीकरण के, संपत्ति पर कानूनी स्वामित्व नहीं माना जाता।

खाता प्रमाणपत्र

रजिस्ट्री प्रक्रिया में दूसरा ज़रूरी कागज़ होता है खाता प्रमाणपत्र, जिसे स्थानीय नगरपालिका या तहसील से लिया जाता है। इसमें यह दर्ज रहता है कि संपत्ति किसके नाम पर है और उस पर कितना कर बकाया है। खासकर अगर खरीदार भविष्य में बैंक से लोन लेना चाहता है तो यह दस्तावेज़ बहुत मददगार साबित होता है।

संपत्ति पर बकाया न हो, इसके लिए भार प्रमाणपत्र

खरीद-फरोख्त के दौरान अक्सर खरीदार इस बात को लेकर चिंतित रहता है कि कहीं ज़मीन पर पहले से कोई लोन या कानूनी विवाद तो नहीं है। ऐसे में भार प्रमाणपत्र (Encumbrance Certificate) ज़रूरी होता है। यह दस्तावेज़ स्पष्ट करता है कि संपत्ति पर कोई मौद्रिक या कानूनी बंधन बाकी नहीं है।

टैक्स रसीद और पहचान पत्र भी ज़रूरी

जमीन रजिस्ट्री के समय खरीदार और विक्रेता दोनों को हालिया संपत्ति कर रसीदें दिखानी पड़ती हैं, जिससे यह साबित हो सके कि जमीन पर कोई बकाया कर नहीं है। साथ ही, आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर आईडी या पासपोर्ट जैसे सरकारी पहचान पत्र और पते का प्रमाण भी अनिवार्य है। इससे दोनों पक्षों की पहचान पूरी तरह सत्यापित हो जाती है।

रजिस्ट्री की पूरी प्रक्रिया ऐसे पूरी होती है

सबसे पहले जमीन के स्वामित्व और सभी दस्तावेज़ों की गहन जाँच की जाती है। इसके बाद विक्रय विलेख का मसौदा वकील की मदद से तैयार होता है और राज्य सरकार के मानकों के अनुसार स्टाम्प पेपर पर छपवाया जाता है। स्टाम्प शुल्क और पंजीकरण शुल्क (आमतौर पर 6-8% तक) जमा करने के बाद खरीदार और विक्रेता, गवाहों के साथ उप-पंजीयक कार्यालय पहुँचते हैं। यहां बायोमेट्रिक सत्यापन और दस्तावेज़ जमा करने के बाद पंजीकरण की रसीद दी जाती है। अंततः आपको पंजीकृत विक्रय विलेख मिल जाता है, जो कानूनी स्वामित्व का प्रमाण है।

धोखा धड़ी से कैसे बचे

भूमि रजिस्ट्री के जानकार बताते हैं कि खरीदार को हमेशा यह देख लेना चाहिए कि जिस जमीन की खरीद हो रही है वह कृषि उपयोग की है या आवासीय, क्योंकि इसका असर कीमत और भविष्य की योजनाओं पर पड़ता है। साथ ही यह सुनिश्चित करना भी ज़रूरी है कि वह जमीन किसी सरकारी अधिग्रहण सूची में शामिल न हो। किसी भी भ्रम या कानूनी दिक्कत से बचने के लिए रजिस्ट्री से पहले किसी अनुभवी वकील या संपत्ति सलाहकार की मदद लेना समझदारी है।

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